सरकारी अस्पताल के पास चल रहे फर्जी अस्पताल में हुई डिलेवरी से बच्चे की मौत, महिला की हालत गंभीर
राठ,(हमीरपुर)। राठ में सरकारी अस्पताल के पास संचालित हो रहे बिना डाक्टर के फर्जी अस्पताल में धडल्ले से हो रहे ऑपरेशन और डिलेवरी आमजन के लिए नासूर बना हुआ हैं। कस्बे के सिकंदरपुरा मोहल्ला निवासी युवक की पत्नी की इसी फर्जी अस्पताल में बिना डाक्टर के कम समय में ही डिलेवरी कर दी गई जिससे उसके नवजात बच्चे की मौत हो गई तथा उसकी पत्नी की हालात गंभीर है। पीड़ित ने फर्जी अस्पताल संचालक के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए कोतवाली राठ में गुहार लगाई है।
कस्बे के सिकंदरपुरा मुहल्ला निवासी प्रदीप पुत्र अश्वनी तिवारी ने बताया कि उसकी पत्नी हरदेवी उर्फ राधा 6 माह की गर्भवती थी। जिसको दिखाने वह सरकारी अस्पताल राठ में जांच करवाने हेतु आया था तभी उसे वहां रीता नागर आशा बहु मिली और उससे कहने लगी कि चलो वह अस्पताल में कम पैसा में इलाज करा देगी। आरोप लगाया कि अस्पताल में उपस्थित किसी एक नर्स ने भी कहा कि जिस अस्पताल में यह आशा ले जा रही है वह अस्पताल भी सही है। बताया कि वह उसकी बातों में आ गया और उसके सम्बन्धित प्राईवेट अस्पताल जो सरकारी अस्पताल के पास ही एक मकान में चला गया। आरोप लगाया वहां मौजूद युवक शैलेन्द्र सिंह उर्फ शीलू जो करही गांव का प्रधान भी है व उसकी पत्नी नर्मदा जो एक आशा है। इन दोनो को आशा रीता ने एमबीबीएस चिकित्सक बताया और इनसे ही इलाज करवाने की बात कही। आरोप लगाया कि शैलेन्द्र व नर्मदा ने उसकी पत्नी की कुछ जांचे की और उसकी पत्नी को इन्जेक्शन लगा दिये। और लगभग आठ हजार रुपए की दबाइयां भी दी और बोला कि अब कोई परेशानी नही होगी। लेकिन जब वह अपनी पत्नी को लेकर घर चला गया और घर पहुंचने के 1 घण्टे बाद ही उसकी पत्नी हरदेवी उर्फ राधा को ब्लीडिंग शुरू हो गई तो वह तुरन्त ही अपनी पत्नी को लेकर फिर शैलेन्द्र सिंह के अस्पताल आया और दिखाया तो उक्त शैलेन्द्र व नर्मदा ने उस से कहा कि उसकी पत्नी की डिवेलरी का समय आ गया है। और उसकी डिलेवरी करनी पडेगी जिसका खर्च बीस हजार आएगा। इस दोनों के दबाव में आकर उसने बीस हजार जमा कर दिए। उसके बाद शैलेन्द्र व नर्मदा ने मेरी पत्नी की जबरिया 6 माह के गर्भ की डिलेवरी दिनांक 23 अप्रैल को जबरिया उसकी पत्नी की डिलीवरी कर दी। जिससे उसकी पत्नी को अंदरूनी चोटें आई हैं। और उसके मासूम बच्चे की भी लंबे इलाज के बाद मौत हो गई। जब वह इलाज करा कर आया तब वह शिकायत करने कोतवाली पहुंचा है।युवक का आरोप है दोनों पति पत्नी शैलेंद्र व नर्मदा सरकारी अमले के संरक्षण में फर्जी अस्पताल लंबे समय से चला रहा हैं। कहा कि इनके अस्पताल का न रजिस्ट्रेशन है और न ही कोई डाक्टर है। ये स्वयं डिलेवरी और ऑपरेशन करते हैं। बताया कि आरोपी नर्मदा सिंह आशा बहु भी है। जब इस फर्जी अस्पताल में पहुंचकर उनका पक्ष लेने की कोशिश की गई तो बिल्डिंग में ताला लगा मिला वहीं बात करने की कोशिश की गई तो शैलेंद्र सिंह का फोन नहीं लगा। वहीं इस संबंध में कोतवाली प्रभारी राठ ने बताया कि मामले की जांच कराई जा रही है।हालांकि इस संबंध में जब मुख्यचिकित्साधिकारी हमीरपुर से बात करनी चाही तो तीन बार फोन लगाने के उपरांत भी उनका फोन रिसीव नही हुआ।सोचने वाली बात तो यह है कि जनपद के विभागीय एक जुम्मेदार अधिकारी भी कितने लापरवाह हो गए कि जनपद में संबंधित विभाग का कोई मामला हो जाय तो उनके द्वारा पत्रकारो का फोन रिसीव कर जबाब न देना बड़ी शर्मनाक बात होती है।यह कोई पहला मामला नही जब स्वस्थ विभाग में कोई चर्चा भरा मामला हो तो मुख्य चिकित्साधिकारी का फोन रिसीव नही होता।