निजी स्कूलों की मनमानी,अभिभावक व बच्चे फिक्स दुकान से किताबें-ड्रेस लेने को मजबूर
रिपोर्ट-शौकीन खान/कौशल किशोर गुरसरांय
गुरसरांय(झांसी)। सरकारी आदेश है कि स्कूल किसी एक दुकान से किताबें और ड्रेस खरीदने को मजबूर नहीं कर सकते हैं। इस सरकारी आदेश का पालन कम से कम नगर गुरसरांय में तो कोई प्राइवेट स्कूल करने को तैयार नहीं है। पालन तो तब होगा,जब अफसर पालन करवाएंगे। अफसर शिकायत के इंतजार में सच को छिपाए बैठे हैं। क्यों ये तो उन्हें खुद से ही पूछना चाहिए। नगर के करीब 90 फीसदी प्राइवेट स्कूलों की पुस्तकें और ड्रेस के लिए दुकानें फिक्स हैं। स्कूल और दुकान संचालकों का सिंडीकेट ऐसा कि स्कूल प्रबंधन ने किताबें और ड्रेस के लिए जहां का पता बता दिया,मजाल है कि ये किसी और दुकान से मिल जाएं। कमीशन का यह खेल सालों से चल रहा है। सब कुछ जानते हुए प्रशासन मौन है और अभिभावक और बच्चे लगातार लुट रहे हैं। नया शिक्षा सत्र शुरू हो गया है। हर माता पिता की तमन्ना रहती है कि वे अपने बच्चे को अच्छे स्कूल में पढ़ाएं और उसका बेहतर भविष्य गढ़ें। इसी सपने को साकार करने के लिए अभिभावकों ने अपने बच्चों को मोटी फीस वाले महंगे प्राइवेट स्कूल में एडमिशन तो करा दिया है लेकिन अब वे पुस्तकें व ड्रेस खरीदने के नाम पर लुट रहे हैं। दरअसल प्राइवेट स्कूल प्रबंधन उन्हें प्राइवेट पब्लिशर्स की बुक्स खरीदने को मजबूर कर रहे हैं। इसके बिना उनके बच्चे पढ़ाई भी नहीं कर सकते। पुस्तक के साथ ही उन्हें कापी,कटर,कलर,कम्पास आदि थमाए जा रहे हैं। इसे लेने से इनकार करने पर पुस्तकें नहीं दिए जाने की धमकी दी जाती है। नगर गुरसरांय के स्कूलों में जो भी पुस्तकें चलन में हैं। उसे दुकान संचालक चार गुना अधिक दर पर बेचते हैं। साथ में कापियां भी लेने के लिए मजबूर किया जाता है। वह भी 40 प्रतिशत अधिक दाम पर। नगर के जागरूक लोगों ने शासन प्रशासन से इस सम्बन्ध में निजी स्कूलों के खिलाफ उचित जांच कराकर सख्त कार्यवाही की मांग की है।