जबाबी कीर्तन के नाम रही जलविहार महोत्सव की छठवीं रात
1 min read

जबाबी कीर्तन के नाम रही जलविहार महोत्सव की छठवीं रात

रिपोर्ट -महादेव भास्कर कटेरा

कटेरा (झांसी) मेला जलविहार महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की कड़ी में रविवार की रात अखिल भारतीय जबाबी कीर्तन के नाम रही।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गौरव जैन (राष्ट्रीय प्रवक्ता कांग्रेस पार्टी), विशिष्ट अतिथि समाजसेवी सीताराम यादव व जितेन्द्र वर्मा रहे।
सर्वप्रथम कार्यक्रम के अतिथि गौरव जैन, सीताराम यादव, जितेन्द्र वर्मा, चेयरमैन धनीराम डबरया, ओमप्रकाश लिपिक, विवेक जैन, अमित डेंगरे, भगवानदास आर्य, मुकेश अहिरवार, दाऊ प्रजापति, अजय अहिरवार, धर्मदास आर्य, राजाराम कुशवाहा, प्रमोद साहू सहित पार्षद व उनके प्रतिनिधियों ने दीप प्रज्वलित कर व फीता काटकर उद्घाटन किया।
मुख्य अतिथि गौरव जैन ने जनता जनार्दन को संबोधित करते हुए कहा कि व्यक्ति के जीवन में एक ही अवलंब होता है और वो है ईश्वर, व्यक्ति ज्ञान, कर्म और भक्ति के कई मार्गों से ईश्वर को पाने का प्रयास करता है, भक्ति सर्वश्रेष्ठ मार्ग है और भक्ति से ईश्वर को पाना सबसे सरल होता है, भक्ति और एकाग्रता के लिए भजन, कीर्तन और स्मरण जैसी तमाम चीज़ों का सहारा लिया जाता है, भजन और कीर्तन से मन की अवस्था बहुत तेजी से उन्नत हो जाती है, इसके बाद अगर ध्यान किया जाए या प्रार्थना कि जाए तो वह तुरंत पूरी होती है, भजन और कीर्तन के सही प्रयोग से व्यक्ति को रोगों तथा मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है, उन्होंने मेला जलविहार महोत्सव के आयोजन के लिए आयोजकों, स्थानीय पत्रकारों, पुलिस प्रशासन व बाहर से आये दुकानदारों को बधाई दी।
कार्यक्रम संयोजक पार्षद पवन अहिरवार व कालका आर्य ने अतिथियों को बेच लगाकर सम्मानित किया। चेयरमैन धनीराम डबरया ने अतिथियों को पगड़ी पहनाकर स्वागत किया।
मंच संचालन महेश कटैरिया व सुखनन्दन वर्मा ने किया।
जबाबी कीर्तन कार्यक्रम की शुरुआत सचदेवा सरारती (कानपुर) ने माँ सरस्वती की वन्दना “वीणावानी माँ इस वाणी से कर रहा हूं वन्दना, वन्दना हो वन्दना” जबाबी कीर्तन की शुरुआत की। इसके बाद शिव शम्भू हरि से बोले इच्छा है एक हमारी नर रूप इतना प्यारा आज बन जाओ नारी, मोहिनी बने हरी तो मोहित हुय त्रिपरारी, हर ने है हरि को निहारा देखा रूप न्यारा करने लगे जल की बौछार, हरि संग हर का जलविहार। इसके बाद रोशनी अंजान लखनऊ ने अपने जबाबी कीर्तन में माँ की आराधना करते हुए “कि माँ मातेश्वरी हो-हो माँ भागेश्वरी हो, ब्राह्मणी हो माँ तुम हो माँ सर्वेश्वरी हो, राजेश्वरी हो। आराधकों कि अम्बे आराधना हो स्वामनी सुरों की मईया सुर साधना हो। व्याप्त विश्व में मईया कोई व्याध न हो अगर आप चाहे मईया हमसे अपराध ना हों, हरो भार भू का मईया भुवनेश्वरी हो मईया मातेश्वरी हो। दोनों कीर्तन कलाकारों ने जनता जनार्दन से खूब वाहवाही लूटी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *