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उसकी निगाह जो मेरे चेहरे से हट गयी, तब तन्हाई मेरे शाये से आकर लिपट गयी

रिपोर्ट -महादेव भास्कर कटेरा

कटेरा (झांसी) 154वे मेला जलविहार महोत्सव की पाचवीं रात अखिल भारतीय कवि सम्मेलन के नाम रही।
कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि अरुण सिंह (जिला महामंत्री), विशिष्ट अतिथि वीरेन्द्र नायक (जिला प्रतिनिधि भाजपा), व पुष्पेन्द्र कुशवाहा (मंडल अध्यक्ष भाजपा), प्रताप सिंह बुन्देला (श्रीकृष्ण जन्मभूमि संघर्ष न्यास प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य), चेयरमैन धनीराम डबरया, ओमप्रकाश लिपिक, पूर्व चेयरमैन, महेश कटैरिया, हुकुमचंद्र दिनकर, रम्मू राजपूत, हरचरन विश्कर्मा, विनय प्रताप सिंह तोमर, हरिपत अहिरवार, रामभरोसे सोनी, मंगल सिंह चौहान, पूर्व पार्षद धर्मप्रकाश पाण्डेय, रूपेन्द्र राय, कृष्णलाल आर्यपूर्व पार्षद,इश्हाक अहमद, अनिल पुरुहित, ने दीप प्रज्वलित व फीता काटकर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
कार्यक्रम संयोजक मिथलेश बाबा यादव व प्रताप सिंह चौहान ने अतिथियों को बैच लगाकर व पगड़ी पहनाकर स्वागत किया। चेयरमैन धनीराम डबरया ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया,
उद्घाटन कार्यक्रम का संचालन महेश कटैरिया, सुखनंदन वर्मा ने किया,
कार्यक्रम में जनता जनार्दन को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि ने कहा कि कवि समाज को जागृत करने का काम करते है।
मंच कवियों के हवाले होने से पहले चेयरमैन धनीराम डबरया भी कविता के माध्यम से जुड़े उन्होंने अपनी कविता में कहा “दम घुटने लगता है जहरीले साँसों में” कैसी विडम्बना की सच भी गुनाह हुआ, अन्धे सिंघासन पर राजनीति बनी जुआ, मापदंड दोहरे है, आदमी तो मोहरे है, लोकतंत्र उलझ गया शकुनि के पांसों में” कविता में खूब तालियां बटोरी। इसके बाद मंच कवियों के हवाले हो गया। सबसे पहले वन्दना विशेष लखनऊ ने सबसे पहले सरस्वती वंदना से की उन्होने अपनी कविता में कहा है “वाणी वारी मा ममता की नज़र करदो, उपकार बड़ा होगा सुरताल न जाने हम आवाज न जाने माँ”
हास्य कवि रिंकू पांचाल ने अपनी कविता में कहा “गधे को गधे क्यो कहते है”
विशुद्र बुन्देली कवि डॉ गणेश राय (दमोह) ने विलुप्त होती बुन्देली को जाग्रत करते हुए अपनी कविता में कहा “में प्रमाण करता हु, इसके बाद पूरी रात कविताओं का दौर चलता रहा। कार्यक्रम का संचालन सतीश मधुप ने किया

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