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मुक्ति संस्था गुरसरांय बना बेसहारों का सहारा,सैनिक स्कूल में फीस न होने पर गरीब प्रतिभाशाली बच्चे को फीस व्यवस्था कर दी नई ऊर्जा

रिपोर्ट-शौकीन खान/कौशल किशोर गुरसरांय

गुरसरांय (झांसी)। बेसहारों और असहायों का सहारा बनकर मुक्ति संस्था गुरसरांय समेत पूरे जिले में महत्वपूर्ण भूमिका इस समय अदा कर रही है और जिस उद्देश्य से मुक्ति संस्था का गठन हुआ था उस दिशा में जब आगे बड़ी तो जिले से लेकर प्रदेश के लोगों ने मुक्ति संस्था के साथ कदम से कदम मिलाकर तन मन धन से सहयोग करना प्रारंभ कर दिया है अभी ताजा उदाहरण गुरसरांय कस्बे के मजदूर वर्ग से विषम आर्थिक तंगी से गुजर रही नीलम सोलंकी का लड़का कृष्णा सोलंकी उम्र लगभग 14 वर्ष ने सैनिक विद्यालय की फीस आदि सुविधाएं न होने के चलते विद्यालय से नोटिस आया कि एक लाख छब्बीस हजार रुपया लगभग दो वर्ष की बकाया फीस जमा अगर नहीं की गई तो बच्चे को स्कूल से निकाल दिया जावेगा इसको लेकर बालक कृष्णा की माता नीलम बुरी तरह परेशान थी और कई जगह फीस के लिए गुहार लगाई लेकिन कहीं से कोई रास्ता उसे नहीं दिखाई दिया लेकिन कहते हैं जिसका कोई नहीं उसका खुदा है यारो और मुक्ति संस्था गुरसरांय के कर्ता धर्तायों को इसकी जब जानकारी लगी तो पूरी मुक्ति संस्था के पदाधिकारी और समाजसेवी इसके लिए आगे आये जिसको लेकर मुक्ति संस्था के सभी सदस्यों ने 51205 सैनिक स्कूल जाकर उसकी फीस जमा की रसीद कटवाई तो वहीं मुक्ति संस्था के आग्रह पर पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने इस संबंध में भारत सरकार के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को और विद्यालय के प्रिंसिपल को ज्ञापन पत्र देते हुए संपूर्ण फीस माफ करने की मांग की तो दूसरी ओर विगत तीन वर्षो से रुकी छात्रवृति अविलंब भुगतान कराये जाने की मांग की बताते चले मुक्ति संस्था अभी तक की गई सेवाओं का उल्लेख सक्षेप में इस प्रकार है संस्था ने अभी तक जहां कोरोना काल से लेकर अब तक 52 लोगों को डेड बॉडी फ्रीसर उपलब्ध कराया, 350 वृक्ष की गार्ड सुरक्षा सहित गुरसरांय कस्बे में लगवायें और उनकी बच्चों की तरह देखभाल का जिम्मा भी उठाया इसी क्रम में मुक्तिधाम गुरसरांय मऊरानीपुर में भी वृक्षारोपण के साथ सीमेंटेड कुर्सी बैठने के लिए उपलब्ध कराई वही मुक्तिधाम का सौंदरीकरण भी कराया कोविड समय में बैकसीन शिविर लगवाये, गरीब परिवार में भोजन सामग्री की किटे बांटी गई और वही उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह से आग्रह पर अंतिम संस्कार स्थल के चबूतरा एक साथ चार लोगों का निर्माण कराया गया व उनके द्वारा एपेक्स निर्माण भी मुक्ति धाम परिसर में कराई गई इस प्रकार मुक्ति संस्था गुरसरांय द्वारा समाजसेवा में जो सक्रिय योगदान दिया जा रहा है वो अपने में प्रेरणादायक है क्योंकि कोरोना काल में जब लोग घर से नही निकल रहे थे और एक दूसरे लोगों को छूने की तो बात दूर पास में नहीं जाते थे ऐसे दौर में मुक्ति संस्था के सदस्यों ने स्वंय अपने हाथों ने ट्रैक्टर ट्राली की मदद से अंतिम संस्कार उनके परिवार जनो जैसी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर एक नजीर बनाई वर्तमान में असहाय गरीब लोगों को मुक्ति धाम पर नि:शुल्क लकड़ी उपलब्ध कराने के साथ साथ ए टू जेड सभी व्यवस्थाएँ कर रही है।

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