कमेटियों द्वारा जायरीनों का फूल माला डाल इस्तकबाल किया गया
पनवाड़ी/महोबा क़स्बा से सात पुरुष और महिलाएँ उमराह के लिए रवाना हुए. उमराह पर जाने वाले जायरीनों का जगह-जगह मुँह मीठा कराकर एवं फूल माला डालकर इस्तकवाल किया गया. बताते चलें इस्लामिक ग्रंथो के अनुसार उमराह का मतलब मक्का में हरम शरीफ की जियारत करने से है. जिसे साल में कभी भी किया जा सकता है. उमराह मुसलमानों को ईमान ताज़ा करने और खुदा से गुनाहों की माफ़ी मांगने का मौका होता है. इस यात्रा में मुसलमान काबा के चारों ओर चक्कर लगाते हैं. यानि तवाफ़ करते हैं. तो उसका उमराह मुकम्मल हो जाता है. साथ ही कुरान मजीद पढ अल्लाह की इबादत करते हैं. इसका समय 15 दिन का होता है. इन दौरान आठ दिन मक्का और सात दिन मदीना में रहकर अल्लाह की इबादत करना होता है. इसी क्रम में आज कस्बा से आज हाजी खलील, नासिर अली हाशमी, कफील हाशमी, अमन हाशमी, मून हाशमी, सईद हाशमी, सुल्तान मंसूरी, हज्जन सैय्यदा नसरीन फातिमा, वाहिदा बेगम, जाहिदा बेगम, आयशा परवीन, नुसरत बेगम, आविदा बेगम, अंजुम खातून सहित चौदह लोग उमराह के लिए देवगनपुरा और बस स्टैण्ड से रवाना हुए. उमराह पर जाने वाले जायरीनों का मैन बाजार कल्लू मेम्बर, सद्दाम कुरैशी, शब्बू मेम्बर, जुनेद सौदागर, बसीम कादरी, सलमान बाबा, समीर रज़ा, डुग्गु रज़ा, चन्दन हाशमी, सलीम राइन, बंटू मिर्जा, ने बस स्टैण्ड पर शानू खान फर्नीचर, इदरीश खान, अनीस रंगरेज, कबीर कुरैशी ने और झाँसी तिगैला पर फीरोज हाशमी, मु सादिक सकलैनी, अदील हाशमी, , कल्लू सकलैनी, तौफीक, आरिफ सौदागर, इरफ़ान सकलैनी ने राठ रोड पर मु.इकबाल घायल, हाफिज अब्दुल रज्जाक चिश्ती, शानू मंसूरी, शान मुहम्मद आदि ने सभी जायरीनों का मुँह मीठा कराकर एवं फूल मालाएँ डालकर इस्तकवाल कर जियारत के लिए रवाना किया है.