रिपोर्ट-शौकीन खान/कौशल किशोर गुरसरांय
गुरसरांय(झाँसी)। मनरेगा में बड़े पैमाने पर अनियमितताएँ होने के बाबजूद जिला मुख्यालय से मनरेगा की हड़पी गई धनराशि संबंधित कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा न तो रिकवरी की गई है और न ही आरोपियों के विरुद्ध कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है इस प्रकार की घोर अनियमिततायों का मामला झाँसी जिले के विकासखण्ड बामौर का सामने आया है बामौर विकासखण्ड की ग्राम पंचायत नगरा में पिछले माहों में लाखों रुपया फर्जी अभिलेखों में काम कर राजकीय कोष से निकाल लिया गया था इस संबंध में गांव के लोगों ने उच्चाधिकारियों से शिकायत की थी जिसकी जांच में घपला की पुष्टि हुई थी इसके बाद दोषी कर्मचारियों से लेकर गांव प्रधान से रिकवरी के आदेश हुए थे लेकिन उक्त संबंध में विकासखण्ड बामौर द्वारा अभी तक न तो धनराशि रिकवरी की गई है और न ही कोई आपराधिक कानूनी कार्यवाही की गई है 18 अगस्त को खण्ड विकास अधिकारी से हमारी प्रतिनिधि ने जब उक्त सम्बन्ध में पूछा कि क्या कार्यवाही हुई तो उन्होंने कहा इस संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं है जानकारी करने के बाद ही बता सकता हूँ बामौर विकासखण्ड में तैनात एपीओ मनरेगा के कार्यकाल में सगौली सहित कई गांव में पिछले वर्षों में बड़े पैमाने पर मनरेगा की धनराशि घपलेबाजी की शिकायतें उभरकर सामने आई हैं और कई बार जांच में दोषी पाए जाने पर भी चेतावनी देकर एपीओ मनरेगा सहित मनरेगा में घालमेल करने वाले संबंधित व्यक्तियों को छोड़ दिया जाता है जिससे लगातार मनरेगा के कामों में धांधली हो रही है यहां तैनात एपीओ मनरेगा की जबाबदेही है कि हर कार्य की फीडिंग मजदूरों के भुगतान और कार्य स्थल की तकनीकी रिपोर्ट और मौके की फोटो सही अपडेट पूरी पारदर्शिता से किया जाए तब भुगतान किया जाए लेकिन दर्जनों गांव में वर्तमान एपीओ मनरेगा के कार्यकाल में विभिन्न वर्षों में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं उजागर होने के बाद अभी तक एपीओ मनरेगा के विरुद्ध कोई भी कानूनी कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई है जो प्रत्यक्ष प्रमाण के तौर पर पिछले तीन चार वर्षों के रिकॉर्ड में देखा जा सकता है ग्राम अतरसुंवा में भी इसी प्रकार की रिकवरी के आदेश हुए थे लेकिन जानबूझकर घपलों पर घपला पुनरावृत्ति करना एपीओ मनरेगा की आदत में सुमार है और अपनी ऊंची पकड़ के चलते इन्हें कहीं न कहीं संरक्षण प्रदान है जिससे प्रदेश और केन्द्र सरकार की मंशा अनुरूप गांव का और गांव के मजदूरों का मनरेगा योजना का जो उदेश्य था वह पूरे बामौर विकासखण्ड में अवरुद्ध हो गया है जिससे शासन की छवि पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है क्षेत्र के जागरूक लोगों ने जनहित व शासन हित में इस संबंध में बड़ी कार्यवाही की मांग की है।